अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत विदुषी सम्मेलन 2023

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डॉ.ज्योत्सना सी.रावल

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प्राचीन भारतीय संस्कृति के पुरस्कर्ताओं ने मानव-जीवन की वाल, युवा, प्रौढ़ा एवं वृद्धा इन चार अवस्थाओं के लिए चार आश्रमों- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं सन्यास का विधान किया था I ब्रह्मचर्य आश्रम में रहकर शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात् पुरुष का समावर्तन संस्कार किया जाता था I इस समय ब्रह्मचारी विवाह करके गृहस्थाश्रम में प्रवेश करता था I

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डॉ.ज्योत्सना सी.रावल

आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज, वडनगर, संस्कृत विभाग